शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

चिड़िया रानी की हेल्थ


चिड़िया-रानी,चिड़िया-रानी
कैसे ऊँची उड़ जाती हो
लंच-डिनर में क्या खाती हो?
हमको नहीं बताती हो।
छोटे-छोटे बीज चबाऊँ
रूखे-सूखे कीड़े
मुझको भाते तनिक नहीं हैं
मैगी,चाट,पकौड़े।
हरी-हरी सब्ज़ी खाऊँगा
अच्छी बात बताती हो।
लंच-डिनर में- - -
सुबह-शाम मेहनत करती हूँ
श्रम से तनिक नहीं डरती हूँ
तिनका-तिनका नीड़ बनाती
बच्चे भी पाला करती हूँ।
सुबह-शाम तुम जिम को जाती
सीक्रेट नहीं बताती हो।
लंच-डिनर- -
भोलू राजा, भोले हो तुम
मेहनत ज़रा न करते हो तुम
तले पकौड़े तुम नित खाते
फ़ास्ट-फ़ूड पर मरते हो तुम
काम बहुत मुझको करने हैं
फिर मिलने, उड़ जाती हूँ मैं।
लंच-डिनर- -
आखिरी आन्सर देती जाओ
कैसे तुम सुंदरता पाओ
चटकीले हैं रंग तुम्हारे
कैसे तुम नित निखरी जाओ?
हमें बताओ, नहीं छुपाओ
ब्यूटी-पार्लर जाती हो तुम?

भोलू राजा बुद्धू हो तुम
बात समझ न आती है----

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

बादल राजा रूपहले


ओ बादल राजा रूपहले

उजले-उजले कपड़े पहने

आसमान से झाँक रहे हो

जैसे कोई लुक-छुप खेले।

सूरज दादा जब आएंगे

तुमको धूमिल कर जाएंगे

डर जाओगे,घबराओगे

भागोगे पैरों को सर ले।

ओ बादल-----

सागर तेरी माँ का घर है

अम्बर मे डेरा दो पल है

धरती से फिर पुनर्मिलन है

फिर सागर बाँहों में ले ले।

ओ बादल---

बोल कहाँ है तेरी रानी

शरमा मत,अब बता कहानी

शायद कोई परी अनजानी

तुझ संग आँख-मिचौली खेले।

ओ बादल-- 

शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

होते बहुत ज़रूरी खेल


होते बहुत ज़रूरी खेल
सब बच्चों को कर दो मेल
सिर्फ पढ़ाई,आपा-धाई
कर न दे जीवन में फेल।
मैदानों में दोस्त मिलेंगे
रूठे चेहरे पुनः खिलेंगे
पकड़ा-पकड़ी,छुपम-छुपाई
करवाती बच्चों में मेल।
होते बहुत- -
कुंटल भर का बोझ हटेगा
सर से भारी बोझ छंटेगा
इंतहान की टेंशन-वेंशन
लेने जाएगी अब तेल।
होते बहुत- -
होती शिक्षा बहुत ज़रूरी
पर जीवन से न हो दूरी
आज शपथ लो,वादा कर लो
खेलोगे जी भर के खेल।
होते बहुत- -

मम्मी को होगा समझाना
टीचर को भी पड़े मनाना
घर घुसने से तो अच्छा है
मित्रों में हो रेलमपेल।
होते बहुत ज़रूरी- -