शुक्रवार, 20 मई 2016

पीपल के पत्ते

पीपल के पत्ते
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धरती का मुख चूम रहे हैं पीपल के पत्ते
नभचुम्बी शाखों में शोभित पीपल के पत्ते।
हरिया शुक से चमकदार हैं पीपल के पत्ते
ठंडी-ठंडी चँवर डुलाते पीपल के पत्ते।
देवालय के ऊपर छाए पीपल के पत्ते
घर,आँगन,बाहर दिख जाएं पीपल के पत्ते।
पंछी की एक ठाँव बनाएं पीपल के पत्ते
गाँवों की पहचान बनाएं पीपल के पत्ते।
ज़हर धरातल का पी जाएं पीपल के पत्ते
पथिकों को छाया दे जाएं पीपल के पत्ते।
मेरे बचपन के साथी थे पीपल के पत्ते
दिल से हैं,दिलदार बहुत हैं पीपल के पत्ते।


गली क्रिकेट

गली क्रिकेट
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ले कर अपना बल्ला भारी
चीनू ने फिर बॉल उछाली
लपक लिया भोलू राजा ने
डाइव हवा में सुंदर मारी।
घर के बाहर तंग गली में
बन-बन बिगड़े पिच बेचारी
चन्नू के चाचा का शीशा
कैसे टूटा शक है भारी।
गर्मी की लंबी दोपहरी
कैसे बँधती चार-दीवारी
आँख बचा कर बाहर निकलें
बच्चों की हो गयी लाचारी।
टी.वी. में है टीम इंडिया
गलियों में बच्चों की पारी
लाख बचाया फैैल गयी पर
गली क्रिकेट की नयी बीमारी।


ठहरो सर्दी रानी

ठहरो सर्दी रानी
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थोड़ा ठहरो सर्दी रानी
सूख रहा धरती का पानी
जाओ मत,तुम कर नादानी
थोड़ा---
नए-नए स्वेटर दस्ताने
अभी नहीं जी भर के पहने
समझो,तुम हो बड़ी सयानी।
थोड़ा---
माँ को रखनी पड़ी रजाई
बाबा ने रखी मिर्जई
शिशिर,शीत बिन नहीं सुहानी।
थोड़ा----
होली मेरे साथ मनाना
दीवाली मेँ फिर आ जाना
शीतल शरद सभी को भानी।
थोड़ा ठहरो...
पंखे अब धड़-धड़ चलते हैं
पत्ते अब फड़-फड़ उड़ते हैं
ठंडक की न रही निशानी।
थोड़ा ठहरो---
जीव-जंतु की रक्षा कर लो
हो सकता,तो अच्छा कर लो
ठंडी हो अब कुपित भवानी।
थोड़ा ठहरो----


फूलों का संदेश

फूलों का संदेश
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फूल हमेशा कुछ कहते हैं।
खिले हुए सूरज के मुख से
सब के सब सूरज बन जाते
सेना के ज्यों खड़े सिपाही
अनुशासन में रहते हैं।
फूल हमेशा ....
क्यारी में यदि खिलें गुलाबी,
पीले ,नारंगी या काले
तरह-तरह के रंग मतवाले
विविधा में एका कहते हैं।
फूल हमेशा....
झाड़ी के कोमल एकाकी
चटख रंगों में, राग सुनाते
मुसकाते रहते स्वानन्दित
काँटों की दुनिया सहते हैं।
फूल हमेशा....
विविध रंग-रूपों की दुनिया
का संदेशा फूल सुनाते
जग जाते, फिर सो जाते हैं
दुःख में,सुख में ये मुसकाते।
मुसकाने मुरझाने के क्रम
में जीवन किस्सा कहते हैं।
फूल हमेशा....


संतरा

संतरा
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खट्टा-खट्टा खूब संतरा
रस में जाता डूब संतरा
अपनी चमक दिखाए संतरा
मन मीठा कर जाए संतरा।
दादा को भी भाए संतरा
बिना दाँत के खाएं संतरा
गोलू-मोलू का क्या कहना
लार बहुत टपकाए संतरा।
जाड़ा,गर्मी,पतझड़,सावन
सारे मौसम आए संतरा
दुकानों की बोतल में भी
शरबत बन कर छाए संतरा।
ठंडे रस की छाँव संतरा
गाँवों में है ठाँव संतरा
कई पसेरी माँ ले लेती
सौ में ढेरों आए संतरा।
नारंगी रंग,पर रंग वाला
नागपुर का नाम संतरा
ढीला-ढाला,पोला-पाला
आए बहुत पर काम संतरा।
मिनरल-विटा-मिन बहुत हैं
डाइट संतरा,राइट संतरा
ताजा-ताजा भाए संतरा
मुझको है ललचाए संतरा।


माँ बनेगी स्टूडेंट

माँ बनेगी स्टूडेंट
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एक दिन मैं ऑफिस जाऊँगा
मम्मी जाएंगी स्कूल
मुझे डाँटना और पिटाई
मम्मी सब जाएंगी भूल।
हिंदी,गणित और अंग्रेज़ी
टीचर जब समझाएंगी
मुझे पता है उनकी बातें
माँ को समझ न आएंगी।
घर आकर,और बात छुपा कर
मुझे बनाएंगी वह फ़ूल।
मुझे डाँटना----
मैं जाऊँगा माँ के ऑफिस
रौब वहाँ पर झाडूँगा
बॉस बनूँगा एक दिन का मैं
शेर की तरह दहाड़ूँगा।
'
गूगल' मेरी हेल्प करेगा
झोंकूँगा आँखों में धूल।
मुझे डाँटना-----


नन्ही दोस्त

नन्ही दोस्त
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चिड़ियों को पानी रख देना
थोड़ा रखना खाना
फिर तुम सुनना दोपहरी में
मीठा-मीठा गाना।
छाँव जिधर आती हो घर में
उसकी ठाँव बनाना
बीच शहर के हो-हल्ले में
भूला गाँव बसाना।
नहीं छेड़ना नन्ही जाँ को
खुशियाँ उससे पाना।
फिर तुम---
गर्मी की छुट्टी में चिड़िया 
दोस्त तुम्हारी होगी
पास घोसले में उसकी भी
अपनी दुनिया होगी।
मम्मी से कह कर गेहूँ,
चावल,जवार मँगवाना।
फिर तुम---
शाम ढले जब सारे बच्चे
मैदानों में आओगे
निश्चय ही नन्ही चिड़िया की
सारी बात बताओगे।
सब मिल-जुल कर कॉलोनी में
ढेरों प्याऊ लगाना।
फिर तुम---
गर्मी में जब जीव-जंतु
भूखे-प्यासे मर जाते
तुम जैसे अच्छे बच्चे ही
उसकी जान बचाते।
धरती सबकी, अंबर सबका
सब का एक ठिकाना।
फिर तुम----