शुक्रवार, 20 मई 2016

गर्मी की छुट्टी

गर्मी की छुट्टी
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लंबी-लंबी दोपहरी यह
माँ के बिन ना भाती
माँ पहुँची है ड्यूटी,मुझको
माँ की याद सताती।
बहुत सुबह ही निकल गयी वह
देकर मुझको खाना
बोली थी,पूरा खाना है
करना नहीं बहाना।
नौकर से मुझको क्या करना
उससे क्या बतियाती?
माँ पहुँची है ड्यूटी---
शाम ढले माँ घर आएगी
संग सौगातें भी लाएगी
शायद थोड़ा पछताएगी
मुझको बाँहों भर जाएगी।
झूठ-मूठ की कट्टी करके
मैं भी चिपकूँ छाती।
माँ पहुँची है ड्यूटी---
माँ मेरी बेहद है अच्छी
मुझे बनाए अच्छी बच्ची
बातें उनकी भी हैं अच्छी
पढ़ी-लिखी माँ मेरी ऊँची।
पर मुझ संग ऐसा क्यों होता
जब गर्मी की छुट्टी आती।
माँ पहुँची है ड्यूटी---

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