शुक्रवार, 20 मई 2016

ठहरो सर्दी रानी

ठहरो सर्दी रानी
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थोड़ा ठहरो सर्दी रानी
सूख रहा धरती का पानी
जाओ मत,तुम कर नादानी
थोड़ा---
नए-नए स्वेटर दस्ताने
अभी नहीं जी भर के पहने
समझो,तुम हो बड़ी सयानी।
थोड़ा---
माँ को रखनी पड़ी रजाई
बाबा ने रखी मिर्जई
शिशिर,शीत बिन नहीं सुहानी।
थोड़ा----
होली मेरे साथ मनाना
दीवाली मेँ फिर आ जाना
शीतल शरद सभी को भानी।
थोड़ा ठहरो...
पंखे अब धड़-धड़ चलते हैं
पत्ते अब फड़-फड़ उड़ते हैं
ठंडक की न रही निशानी।
थोड़ा ठहरो---
जीव-जंतु की रक्षा कर लो
हो सकता,तो अच्छा कर लो
ठंडी हो अब कुपित भवानी।
थोड़ा ठहरो----


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